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सर्दी की वो चमकती धूप सर्दी की वो चमकती धूप , मुझ

सर्दी की वो चमकती धूप

सर्दी की वो चमकती धूप , मुझे मेरे महबूब से मिला गई,
थे लोग बहुत वहां,पर हमारी नजरें उनसे ही टकरा गई,
सर्दी की वो धूप , मुझे मेरे महबूब से मिला गई।

उनकी  चमकती आंखें, मुझे चमका सी गई,
हमारी नजरें तो टकरा गई उनसे,
 अफसोस उनकी नजरें हमसे टकराकर ना टकराई,
सर्दी की वो धूप , मुझे मेरे महबूब से मिला गई।

सर्दी भी कमाल की थी ,वो मफलर से चेहरे ढक रखे थे ,
हम  चाह कर भी उनका चेहरा न देख सके ,
वो हमारी नजरों में ऐसे बस गए,
उनकी नजरें ही काफी थी हम उनके हो गए।

सर्दी की वो चमकती धूप ,मुझे मेरे महबूब से मिला गई,
थे लोग बहुत वहां,पर हमारी नजरें उनसे ही टकरा गई।

©Pushpanjali
  Sardi ki vo chamakti dhoop..