मैं हूं एक मुसाफिर अंजान सा ,मुझे अनजान ही रहने दो, खोया रहता हूं अपने सफर में ,तो तुम मुझे गुमनाम ही रहने दो।। चला हूं जो कभी तन्हाई की तलाश में, तुम मेरी राहों को सुनसान ही रहने दो।। हां,चुना है दर्द को हमसफर मैंने , तो तुम दूर रहो ना मुझसे, मुझे ही खुद सब सहने दो।। अगर दिखूं तुम्हें फिर कभी मैं, तो तुम भी मुस्कुराओ,और Please मुझे अपने आप में ही खुश रहने दो। और एक दिन दो गज जमीन के नीचे बनाना है, आशियाना अपना , तो छीन लेना सब मुझसे बस मेरा घोंसला रहने दो।। और तब फिर लोग सुनाएंगे किस्से मेरे, तो वो उनका हक है, उन्हें तुम कुछ भी कहने दो।। मैं हूं एक अनजाना सा मुसाफिर, मुझे मेरे सफर में गुमनाम ही रहने दो।। - ©M.k.... मैं हूं एक अनजाना सा #मुसाफिर, मुझे मेरे सफर में गुमनाम ही रहने दो।। एक दिन दो गज जमीन के नीचे बनाना है, #आशियाना अपना , तो छीन लेना सब मुझसे बस मेरा घोंसला रहने दो।। #yqhindi #yourquotedidi #eudaimonia17_11