मांग में सिंदूर नहीं कई उम्मीदें सजा कर आती है, उसके एहसास को संजोना दिल से, तुम्हारे लिए एक नारी अपने बाबुल का घर छोड़ कर आती है। ©Ritu shrivastava #अर्धांगिनी