नाज़ तो यहीं है सनम लेकिन नज़ाकत चली गयी मुहब्बत जिंदा है, मुहब्बत की अदावत चली गयी सारे शेर-ओ-ग़ज़लें-वज़लें हाँ महफ़ूज़ हैं दिलों में लेकिन साथ उसके इक उम्दा लिखावट चली गयी साज-ओ-सामान का क्या है, बने हैं, और बनेंगे कई मगर इक कारीगर के साथ इक सजावट चली गयी कहने को यूँतो शरीफ और भी तमाम है महफ़िल में वो जो उठ कर गया उसके साथ शराफत चली गयी कुछ ग़मज़दा हैं कुछ दिखावटी मायूस भी हैं यहां किसी की 'राहत' तो किसी की आफ़त चली गयी ©technocrat_sanam Dedicating a #tribute to #rahatindorisahab 💐 राहत... नाज़ तो यहीं है सनम लेकिन नज़ाकत चली गयी मुहब्बत जिंदा है, मुहब्बत की अदावत चली गयी सारे शेर-ओ-ग़ज़लें-वज़लें हाँ महफ़ूज़ हैं दिलों में