समुद्र पार कर लंका में आमने सामने दोनों सेनाये, तब एक बार लंकेश को रघुबर समझाना चाहे, पर लंकेश था मद में चूर कहा माने अहंकार जो छाया, एक-2 कर खत्म हो रही अपनी सेना वो देख ना पाया, फिर लंकेश को नीति अनीति कहा समझ आये, कुंभकर्ण सा भाई खोया फिर भी लंकेश ना सोचे, मेघनाथ चलाया नागपाश हनुमान लाये संपूर्ण पहाड़, लखण के प्राण बचाये रघुबर के प्राण में प्राण आये, मेघनाथ का करके वध अन्याय कुछ कम किये, रावण फिर भी तनिक ना विचलित ना पुत्र का शोक हुआ, किया अपने ही कुल का सर्वनाश पर ना दुःखी हुआ, अब असल लड़ाई मायावी अपनी माया दिखा इठलाये, रावण धरे रुप अनेक कभी अचानक ओझल हो जाये, पर सामने हरि उनको अंहकारवश पहचान ना पाया, कर घोर तपस्या अजर-अमर आशीष लंकेश पाया, रावण को देव, नर या पशु, अस्त्र शस्त्र मार ना पाये, एक उपाय लंकेश की नाभि का अमृत यदि सूख जाये, तभी ये मायावी और सारी दैत्य शक्ति पर विजय पाये, आश्विन दशमी का शुभ दिन राम नाभि पर तीर चलाये, पल में खत्म हुआ सारा मायाजाल अंत में लिया राम नाम, ये बात बतलाती है ईश्वर से बढ़कर कोई नहीं समझाती हैं, बुराई कितनी भी शक्तिशाली पर आखिर हार ही जाती हैं, जो समझे खुद को भगवान उसका भ्रम प्रभु अवश्य मिटाते हैं, भक्तों की लगाने नैया पार भगवान किसी ना किसी रूप में आते हैं। ©Priya Gour जय श्री राम 💞🙏 hm sbk buraiya, dukh, tklife b khtm ho sb jgh sukh shanti achhai chhaye 🙏happy vijay prv 💞 #NojotoRamleela #nojotowriters #NojotoWriter #Ram #15Oct 9:49