नवबंर का महीना और सर्द ये हवाएं तेरा हौले से मुस्कुराना और दूरियों की ये सजाएं शोला बनकर सुलग रहा हूं यादों में अब मैं तेरी तू मुझमें जल रही है कैसे आग ये बुझाएं ना वो कुछ कह सके थे ना हम कुछ कह सके हैं अभी अजनबी ही हम हैं और ख़ामोश हैं फिज़ाएं जाने किस राह चल पड़ा है दिल भी हमारा देखो बेख़बर हैं वो हमसे हाल-ए-दिल किसे सुनाएं... ©abhishek trehan #november #आग #दूरियाँ #lovestory #manawoawaratha #yqbaba #yqaestheticthoughts #yqdidi