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#OpenPoetry आँखों को तो एक दिन बहना ही था, आखिर कब

#OpenPoetry आँखों को तो एक दिन बहना ही था, आखिर कब तक  दिल का दर्द छुपाती..2
दोनों का साथ जो ठहरा जैसे दिया और बाती..
दिल तसल्ली दे रहा था। बस, एक बार औऱ रोक ले ये गुबार
फिर साथ में रोना तो हैं हमको, क्या पता सनम चुम ले तुमको इस बार ।
आँखे बेचारी क्या ना करती, बार बार आँसुओ से लड़ती झगड़ती...2
ओ आँसु अभी मत आना, जाम की तरह मत छलकाना
दिल ने कहा हैं अभी शान्त रहने को..2 
थोड़ा और दर्द सहने को,     आँसु भी आँख में आकर रह गए 
बिना कुछ कहे ही सब सह गए।
दिल का दर्द बढ़ रहा था मगर वो कहता किससे..2
आखिर वो मुक़ाम आया। दिल रोया..आँसुओ का सैलाब छाया
अब दिल में दर्द नहीं हैं, ना आँखों में कोई पानी हैं..2
सुनसान, वीरान अब तो ये जिंदगानी हैं..
अब दिल मे दर्द भी नहीं होता
मगर ना जाने क्यू ,ये अब चैन से नहीं सोता ।
पहले तो आँखों के साथ रो लेता था..2
अब तो आँखे भी तरस गई रोने को..
दिल के जज्बातों को आँसुओ में पिरोने को..
अब दिल खामोश हैं.... और मैं भी... Skc.... #OpenPoetry #दिल का दर्द... आखिर कब तक..#Skc..
#OpenPoetry आँखों को तो एक दिन बहना ही था, आखिर कब तक  दिल का दर्द छुपाती..2
दोनों का साथ जो ठहरा जैसे दिया और बाती..
दिल तसल्ली दे रहा था। बस, एक बार औऱ रोक ले ये गुबार
फिर साथ में रोना तो हैं हमको, क्या पता सनम चुम ले तुमको इस बार ।
आँखे बेचारी क्या ना करती, बार बार आँसुओ से लड़ती झगड़ती...2
ओ आँसु अभी मत आना, जाम की तरह मत छलकाना
दिल ने कहा हैं अभी शान्त रहने को..2 
थोड़ा और दर्द सहने को,     आँसु भी आँख में आकर रह गए 
बिना कुछ कहे ही सब सह गए।
दिल का दर्द बढ़ रहा था मगर वो कहता किससे..2
आखिर वो मुक़ाम आया। दिल रोया..आँसुओ का सैलाब छाया
अब दिल में दर्द नहीं हैं, ना आँखों में कोई पानी हैं..2
सुनसान, वीरान अब तो ये जिंदगानी हैं..
अब दिल मे दर्द भी नहीं होता
मगर ना जाने क्यू ,ये अब चैन से नहीं सोता ।
पहले तो आँखों के साथ रो लेता था..2
अब तो आँखे भी तरस गई रोने को..
दिल के जज्बातों को आँसुओ में पिरोने को..
अब दिल खामोश हैं.... और मैं भी... Skc.... #OpenPoetry #दिल का दर्द... आखिर कब तक..#Skc..
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