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कभी तुम कहा करती थी कि तुम्हारे जलसे की रौनक़ मैं ह

कभी तुम कहा करती थी कि तुम्हारे जलसे की रौनक़ मैं हुआ करता हु तो आज मेरे बगैर तुम्हारे जलसे मे रौनक़ कैसे आ गई क्या मेरी कमी को किसी औऱ ने पूरा करदिया तुम्हारी कमी को तो किसी ने पूरा करदिया मेरी कमी तो आज भी तुम ही हो तुम्हारी कमी तो पूरा हो गई पर मेरी तो आज भी तुम ही हो
कभी तुम कहा करती थी कि तुम्हारे जलसे की रौनक़ मैं हुआ करता हु तो आज मेरे बगैर तुम्हारे जलसे मे रौनक़ कैसे आ गई क्या मेरी कमी को किसी औऱ ने पूरा करदिया तुम्हारी कमी को तो किसी ने पूरा करदिया मेरी कमी तो आज भी तुम ही हो तुम्हारी कमी तो पूरा हो गई पर मेरी तो आज भी तुम ही हो

तुम्हारी कमी तो पूरा हो गई पर मेरी तो आज भी तुम ही हो