मन सहज भाव से मौन धार, हो भीत सौम्य शीतल बयार चेतनता की अविचल पुकार, भावों की सरिता हृद सम्हार लेखन में घोल निमित आशा, रिस-रिस रचती निज दिवभाषा तन्मय कंचना किरिच वासा, क्षण-क्षण रसती द्विज अभिलाषा आरत सम अर्पण मधुर तान, प्रभु की संक्षिप्ति हो आभा परमारथ हित मन झीन ज्ञान, दीयन कि प्रदीप्ति हो आभा सदा प्रसन्न रहें.. हृदय से स्नेह.. आपकी मित्रता को, कुछ शब्दों में कहने का प्रयत्न.. आपके लिए – एक खिलखिलाता उपहार.. Dedicating a #testimonial to Abha श्री.... #मित्रता #भावना #कविता #आभा #दीया #प्रीति #alokstates