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White हर रोज ढलता है दिन और हर रोज सुबह होती है पत

White हर रोज ढलता है दिन और हर रोज सुबह होती है पत्तो पर पड़ी शीप भी कभी तड़प पड़प कर रोती है ।
जैसे भी हालत हो उसके फिर भी वो अपनी चमक नहीं खोती है ।
तू इंसान हार जाता है अपनी परेशानियों से टूट कर बिखर जाता है अपनी नादानियों से ।
भूल जाता है तू आया क्यों इस धरा पर क्यों जन्म हुआ इस धरा पर |
मन के बस में आ कर गलतिया करने लगता है अपनों का और खुद का दुसमन बनाने लगता है ।

©Priyanshu Khichi
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#where_is_my_train Best shayari please like me #मोटिवेशनल

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