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कांटे रहे उस राह में,जख्मी है कदम अबतक, प्यार जि

कांटे रहे उस राह में,जख्मी है कदम अबतक, 
 प्यार जिंदा है मगर और,जिंदा है हम अबतक, 
 
 तेरे सिवा किसी और को,कभी न चाहेंगे सनम, 
 कसम हमसे न टूटी नही है,वो कसम अबतक, 
 
 कुछ निशानी जो मिली है,उन गुनाहो की हमें, 
 दिल ने संभाला है,ये तोहफा-ए-गम अबतक, 
 
 होश में आये जब,वाकिफ हुए,तेरी फितरत से, 
 बस समझ न पाये,तेरे जाने का सबब अबतक, 
 
 अब तुम्हें अपना कहे,या अमानत-ए-गैर समझे, 
 पर नादाँ दिल तुम्हें समझता है,अपना अबतक, 
 
 मै लिखता हूँ,अपने अश्कों को रोशनाई बनाके, 
 सब दर्द से भरी है,जो लिखी है गज़ले अबतक, 
 
 लौट आओ फिर करो,इज़हार-ए-मोहब्बत सनम, 
 बस इसी उम्मीद पे जिंदा है,शायद”मन”अबतक,
कांटे रहे उस राह में,जख्मी है कदम अबतक, 
 प्यार जिंदा है मगर और,जिंदा है हम अबतक, 
 
 तेरे सिवा किसी और को,कभी न चाहेंगे सनम, 
 कसम हमसे न टूटी नही है,वो कसम अबतक, 
 
 कुछ निशानी जो मिली है,उन गुनाहो की हमें, 
 दिल ने संभाला है,ये तोहफा-ए-गम अबतक, 
 
 होश में आये जब,वाकिफ हुए,तेरी फितरत से, 
 बस समझ न पाये,तेरे जाने का सबब अबतक, 
 
 अब तुम्हें अपना कहे,या अमानत-ए-गैर समझे, 
 पर नादाँ दिल तुम्हें समझता है,अपना अबतक, 
 
 मै लिखता हूँ,अपने अश्कों को रोशनाई बनाके, 
 सब दर्द से भरी है,जो लिखी है गज़ले अबतक, 
 
 लौट आओ फिर करो,इज़हार-ए-मोहब्बत सनम, 
 बस इसी उम्मीद पे जिंदा है,शायद”मन”अबतक,