कागज़ पे बिखरी स्याही सी है जिंदगी उसका आपना कोई आकार नही ! कलाकार की मर्ज़ी है वह कैसे साकार करे ? आभा दे वह इंद्रधनुष सी या रेत में तपती नाव करे ! OPEN FOR COLLAB💌 सुनाें...बेशक़ मुमकिऩ नहीं हैं जिन्दगी मेरें वजूद काे तराशनें कि चाह ; क्याेकि नहीं समेट सकती तु कभी भी इक काग़ज पर बिखरी स्याह..!! 👉 #शब्दाें_कि_जादुगरी #कागज़ पर बिखरी#स्याह सा हैं शायद़#वजूद मेरा✒