जो मन में आया बोल दिया, छुपाया नही कभी! सोचा बहुत भुलाने का, उसे भुलाया नहीं कभी! इक शख्स गया था, लौट आने का वादा कर के, मैंने रस्ता भी देखा मगर, वो आया नहीं कभी! कैसे भुलाते है चाहने वालों को, ये पता था उसे, मगर उस उस्ताद ने मुझको, सिखाया नहीं कभी! मैं भी हस लेता हूँ, अपने दर्द को सीने में छुपाकर, मेरे पैरों में भी है छाले, मगर दिखाया नहीं कभी! मेरा सर कलम करने को, तो पूरी जम़ात बैठीं है, मगर मैंने भी अपना सर, झुकाया नहीं कभी! बर्बादी पर देने वाला था, मेरा दुश्मन मुझे दावत, मैं इंतजार में हूँ अबतक, उसने बुलाया नहीं कभी... By N kumar #jo_man_me_aaya