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रूह थे तेरे मन के विचार मैं तो बस उसका बेजां तन था

रूह थे तेरे मन के विचार मैं तो बस उसका बेजां तन था, 
रोक लेता ना मुझको ए मन, ख़ामोश रहने का ही तो मेरा बस मन था.. 

नहीं रही एहमियत अब पहले सी ये खाली जहाँ मे मेरी, 
बोल उठी उस वक़्त भी थी ख़ामोशी और नाम मेरे वो समन था.. 

बस "बस" मे होता कहीं थमना और रुक जाना कहीं कहीं, 
रिश्ते हो जाते गुलज़ार और पूरा हो जाता मेरा वो मक़सद-ए-चमन था.. 

पर चीखती रही वो ख़ामोशी और सब्र भी अब हार चुका था, 
नज़दीक था वो बीमार रिश्ते का अंत और ख़तम अब ख़ामोशी का वो दमन था..  वो एक "शब्द" की मनोव्यथा.. 
#घुटते_शब्द_का_दर्द #yqbaba #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi #yqdada
रूह थे तेरे मन के विचार मैं तो बस उसका बेजां तन था, 
रोक लेता ना मुझको ए मन, ख़ामोश रहने का ही तो मेरा बस मन था.. 

नहीं रही एहमियत अब पहले सी ये खाली जहाँ मे मेरी, 
बोल उठी उस वक़्त भी थी ख़ामोशी और नाम मेरे वो समन था.. 

बस "बस" मे होता कहीं थमना और रुक जाना कहीं कहीं, 
रिश्ते हो जाते गुलज़ार और पूरा हो जाता मेरा वो मक़सद-ए-चमन था.. 

पर चीखती रही वो ख़ामोशी और सब्र भी अब हार चुका था, 
नज़दीक था वो बीमार रिश्ते का अंत और ख़तम अब ख़ामोशी का वो दमन था..  वो एक "शब्द" की मनोव्यथा.. 
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