वक़्त को बाँधने की पुरजोर कोशिश में... मुट्ठीयां बँधी रह गईं ; वक़्त फिसल कर रहा ! शेष जो बाकी रही बंद हथेलियों में... वो खार रहा सिर्फ खार! ©V Vanya #खार