जनाब खुद AC में आराम फरमा रहे है, प्रकृति को यूं आप बहुत नुकसान पहुंचा रहे है, ये जो हम सब कर रहे है खिलवाड़ इससे, तो अब काहे घबरा रहे है लताड़ से इसके, पेड़ पौधों का कत्ल करके दिखाई है जो हमने बेरहमी, इंसान के इस कृत्य से कराह रही है प्रकृति की जिंदगी, आंधी, तूफान, बाढ़, भूकंप ये तो कुछ भी नही है इसका गुस्सा, आएगी महाप्रलय, प्रचंड सुनामी, सब हो जायेगा उसमे गुमनामी, बारिश का बे मौसम कहर है जैसे, हर तरफ अंत की लहर होगी वैसे, थक हार कर जब सोता है इसकी गोद में, तो क्यों तू इसको ही दुत्कारता है हर मोड़ पे, ठहर जा, संभल जा, अभी भी वक्त है हाथ पकड़ ले इसका, प्रकृति के जन्म से ही जन्म हुआ है तेरा, बेटा है अगर तू अपनी मां का, रख कर सर गोद में, इसके आंचल में समा जा, जैसे मां का ख्याल रखता है तू हमेशा, इसका (प्रकृति का) भी ध्यान रख तू अपनी मां के जैसा..। ©Ankur Singh Advocate जैसा करोगे, वैसा भरोगे.. बुरा करोगे तो बुरा मिलेगा.. अच्छा करोगे तो बेहतर मिलेगा..। Rajeev Bhardwaj लेखक Nimble Limner (Jasmine Sun) VAniya writer *