मेरा मन है कि मैं सुना पाऊं कोई कहानी चीख चीख कर जहां एक रोते प्रेमी को छोड़ कर जा चुकी है प्रेमिका जो नहीं कर पाई सम्मान प्रेम का जिसे नहीं हैं खेद खो देने का प्रेम को या फिर प्रेमिका के आंसू देख अनदेखा करता रहा है प्रेमी जो नहीं समझ पाया निस्वार्थ प्रेम को जिसकी आंखें देखती है बस चकाचौंध और वो दोनों हैं अर्धमर्णावस्ता में..!! ©Harshita Mohan Sahay (नैना) Read full poetry in my book "tumhare Prem me jaana"