सारी दुनिया के रिवाजों से बगावत क़ी थी तुमको याद है जब मैने मोहब्बत क़ी थी उसे राजदान समझ कर बताया था हाले दिल फिर उस शक्स ने मुझ से अदावत क़ी थी जब तेरी यादों ने आंखों को भिगोया था मैने एक नाम क़ी तस्बीह पे तिलावत क़ी थी उसको हंसते छोड़ के हंसते हुये घर आकर इतना रोये थे क़ी आंखों ने शिकायत क़ी थी मेरे उजड़ने क़ा सबब जब किसी ने पूछा मैने बस इतना बताया क़ी मोहब्बत क़ी थी ©shayar Rashid Ali #Save#urdu#poetry#gazal#nojoto#S. Heena #divya# #ujma#Maqsood#mahi