कोई बिना कहे कैसे समझें, ज़िंदगी छोटी सी है, नाराज़गी में कैसे गुज़रे, में समझती हूं , बातें समझनी चाहिए तुम्हें भी , वरना जो लफ्ज़ों के इशारे ना समझे, वो आंखों के दरम्यान नमी कैसे समझें।। ©Monika Dhangar(RaahiKeAlfaaz) #नज़रों#नमी#बातें#poetry#raahikealfaaz#nojotopoetry #intezar