आज विवशता पर मानव के , स्वयं विवश है मानवता। लड़ रहे मानव-मानव से , परवान चढ़ गयी मानवता। आज धर्म के नाम पर देखो, मर रही है मानवता । मंदिर - मस्ज़िद के बीच पीस कर , दम तोर रही है मानवता । #मानवता #कविता #बिखरे_फूल