मैं शायर हूँ गुमनाम अभी खुद में अपरिभाषित हूँ, नाकामी का लेकर इल्जाम नजरो में लोगो की कुछ यूं अपमानित हूँ।। ये दौर है मेरे संघर्ष का ये किस किस को बताऊं, मैं भी हूँ जज़्बातों से भरा ये किस किस को बतलाऊँ।। द्वंद है ये मेरा मेरे ही भीतर से, देखता हूँ मैं खुद को कबतक खामोश रख पाऊं।। ©Vasundhara #Shayari #shayargumnam