जीवन जब रास ना आऐ चारो तरफ मातम छाऐ शवों पर बिलखते लोग शमशान मे नज़र आऐ सूखा पेड़ बरसात के लिए ना रोए वो तो इस बात पर चिन्ता होए कि मुझे काट कर इंसान यहाँ घर बनाए,ख़ेती की ज़मीन पर फैक्ट्री, बिल्डिंग्स,मॉल बनाए, निर्दोष जानवर, पक्षी, मछली को खाए खूब मौज उड़ाए, नशा करे, शराब और शबाब मे खो जाऐ इतना ही नहीं नन्ही कलियों को मसल डाले उनका जीवन बर्बाद करे, इस पावन धरती पर अपने पाप का घड़ा भरे, अपने नाश को न्यौता दे, बस अब बहुत हों गया, सब्र का बांध टूट गया, अब इंसाफ होगा पापियों का जुल्म कभी माफ़ नहीं होगा जैसे गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता हैं वैसे ही निर्दोषों का भी बलिदान होगा, बचा ले अपने आप को मानव अब प्रकर्ति का इंसाफ होगा, जैसे तूने सब को मारा काटा हैं तुझे भी हटाने का plan होगा, अभी भी अपनी ग़लती मान ले, सुधर जा नहीं तो अभी तो शुरुवात हैं, जाने आगे क्या क्या होगा! warning to the human of this planet earth ©POOJA UDESHI प्रकर्ति का इंसाफ #Nature #Rose