ज़ुल्फें -ए- दराज़ बाजारी-'औरत तेरी उम्र -ए- दराज़ बेवफा मेहबूबा मेरी हाय -रे गम -ए- फ़िराक़ तज्लील मेरी कना'अत मौत -ए- मुकम्मल कहाॅं जन तेरी ©Ditikraj"दुष्यंत"...! ज़ुल्फें -ए- दराज़ बाजारी-'औरत तेरी उम्र -ए- दराज़ बेवफा मेहबूबा मेरी हाय -रे गम -ए- फ़िराक़ तज्लील मेरी कना'अत मौत -ए- मुकम्मल कहाॅं जन तेरी !.. दितिक #themodernpoets #hindinama #hindiwriters #kahanikaar #Love #poem #hatelove #tum #yourquote