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कहाँ से लाऊं हुनर उसे मनाने का कोई जवाब नहीं था उ

कहाँ से लाऊं हुनर उसे मनाने का

कोई जवाब नहीं था उसके रूठ जाने का..

मोहब्बत में सजा मुझे ही मिलनी थी क्यूंकी
 
जुर्म मैंने किया था उससे दिल लगाने का..!

©Khan Sahab
  #दिल_का_दर्द_शब्दों_में_बयाँ_करें_तो_करें_कैसे_