रीति-रिवाजों की बेड़ियों में मचल रहा हर कोई, मंज़िल पता नही मग़र सफ़र में चल रहा हर कोई। ज़िंदा रहने की ख़ातिर इंसानियत खोते जा रहे हम, हर धड़ गिरेगा लेकिन वहम है संभल रहा हर कोई। हर वो सपने आँखों के सामने गैरों के होकर गुज़र गए, एकांत की चाहत में भी साँसों का खलल रहा कोई। हर पल ये 'दुनिया' मेरे सब्र को परखती रही है, इम्तिहान में मुझें छोड़कर सफ़ल रहा हर कोई। जाने क्यों अब हर कोई मुझसे बात करना चाहता है, मेरी ज़िंदगी जीने के मायनों को बदल रहा हर कोई। "वो सपने गुज़र गए" #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़ #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #kkवोसपनेगुज़रगए #yourquotedidi