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मैं उड़कर आ जाता मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!

मैं उड़कर आ जाता

मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!
सामाजिक बंधन पैरों को, न जकड़े होते काश!!

विरह-वेदना कितनी हृदय में, यह बता सकता नहीं,
पर हालात कभी बदलेंगे भी, ऐसा मुझे लगता नहीं!
नीर नयनों के सूख गए हैं, बच गई है आकुल आस..
मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!!

जितनी होती है प्रीत मधुर, होती मधुर यह वेदना!
संवादों का वाहक होती,  प्रिये !  हमारी  संवेदना!!
न होते दो सच्चे प्रेमी, कभी परिस्थितियों के दास..
मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!!

कहाँ भागूँ?  किससे भागूँ?  आया कठिन है दौर!
प्रज्ञा  मंद  हुई  है  मेरी,  अब क्या लिखूँ  मैं और??
दिवस ससरता जाता है, चुभता रहता है मधुमास..
मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!!  #seperation #tanhai #zudai
मैं उड़कर आ जाता

मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!
सामाजिक बंधन पैरों को, न जकड़े होते काश!!

विरह-वेदना कितनी हृदय में, यह बता सकता नहीं,
पर हालात कभी बदलेंगे भी, ऐसा मुझे लगता नहीं!
नीर नयनों के सूख गए हैं, बच गई है आकुल आस..
मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!!

जितनी होती है प्रीत मधुर, होती मधुर यह वेदना!
संवादों का वाहक होती,  प्रिये !  हमारी  संवेदना!!
न होते दो सच्चे प्रेमी, कभी परिस्थितियों के दास..
मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!!

कहाँ भागूँ?  किससे भागूँ?  आया कठिन है दौर!
प्रज्ञा  मंद  हुई  है  मेरी,  अब क्या लिखूँ  मैं और??
दिवस ससरता जाता है, चुभता रहता है मधुमास..
मैं उड़कर आ जाता, आ जाता तेरे पास!!  #seperation #tanhai #zudai