वो हमारे हुजरे में, इक पंछी कैसा मर रहा है खून पीने को है दुनिया इश्क़ प्यासा मर रहा है मेरे भीतर एक दुनिया है, मैं हूँ ख़ुद दाता जिसका अपने अंदर झाँको देखो एक राजा मर रहा है झूठी इज़्ज़त, शानो शौकत, बनते देखो सब ही पागल यूँ ही सबकी जेब में ही एक कांसा मर रहा है एक पैसा ऐसा आया खा गया इंसानियत को और इंसाँ कहता यारों, "मेरा पैसा मर रहा है" इश्क़ मैं भी कर लूं देखो, गर यकीं इतना कि कोई मुझसे मिलने की तड़प में, मेरे जैसा मर रहा है हुजरा - झोंपड़ा, #ghazalgo_fakeera to read such ghazals ❤️ #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan #fakeera_series