Unsplash "यूं भी इश्क निभाया मैंने, उसको फिर समझाया मैंने" इस रिश्तेदारी में कोई लेन देन नहीं होगा । इस रिश्तेदारी में कोई लेन देन नहीं होगा, बेफिक्र होकर नाम दो रिश्ते को मेरी नियत में कोई फेर नहीं होगा । मैंने बिना किसी ख्वाहिश, उम्मीद के ये इश्क पाला है । मैंने बिना किसी ख्वाहिश , उम्मीद के ये इश्क पाला है, तुम चाहो तो बताना सारे जमाने को, मेरी तरफ से ये कभी आम नहीं होगा । जो कहोगे तो तकलीफ भरे रास्तों पर साथ चलेंगे । जो कहोगे तो तकलीफ भरे रास्तों पर साथ चलेंगे, वरना तेरी मंजिलों, मुकाम पे मेरा कोई कारोबार नही होगा । जो तुमको मुनासिब और दुनिया को ठीक लगे । जो तुमको मुनासिब और दुनिया को ठीक लगे वो नाम दे दो इसको, यहां दिल की बातें और जज्बातों का आना-जाना होगा, जिस्मो का यहां कोई काम नहीं होगा । ©DMehfeel Dheeraj Pandey #Book शायरी हिंदी में