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सरल हो तुम निर्मल हो तुम, कोमल हो तुम अविरल हो तुम

सरल हो तुम निर्मल हो तुम,
कोमल हो तुम अविरल हो तुम,
जीवन हो तुम संचय हो तुम,
सुकून हो तुम तलब हो तुम,
जो सबको भाये वो किरदार हो तुम,
जो तरल हो वो स्वभाव हो तुम,
जो हो तुम वो कोई नहीं,
जो है तुममे वो किसी में नहीं,
मैं चाहूँ जो वो चाहत हो तुम,
मैं पहचानू जो वो आहट हो तुम,
मैं जितना लिखूँ सब कम लगता है,
तुम्हें लिखने के लिए शब्द कम पड़ता है,
तुम जैसे हो बेहतर हो तुमसा कहाँ किरदार यहाँ,
जितनी शराफत है तुममें वैसा मिले इन्सान कहाँ ।।

©kajal kannaujiya
  #FriendshipDay #Poetry #Love #viral #heartvoicekk

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