Nojoto: Largest Storytelling Platform

❤रहती हूँ , किराये की काया में... रोज़ सांसों को ब

❤रहती हूँ , किराये की काया में...
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाती हूँ...
मेरी औकात है बस मिट्टी
जितनी...
बात , मैं महल मिनारों की कर जाती हूँ...
जल जायेगी ये मेरी काया 
एक दिन....
फिर भी , इसकी खूबसूरती
पर इतराती हूँ....
मुझे पता हेै, 
मैे खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगी..
इसीलिए जमाने में दोस्त बनाती हूँ ....
❤रहती हूँ , किराये की काया में...
रोज़ सांसों को बेच कर किराया चूकाती हूँ...
मेरी औकात है बस मिट्टी
जितनी...
बात , मैं महल मिनारों की कर जाती हूँ...
जल जायेगी ये मेरी काया 
एक दिन....
फिर भी , इसकी खूबसूरती
पर इतराती हूँ....
मुझे पता हेै, 
मैे खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगी..
इसीलिए जमाने में दोस्त बनाती हूँ ....
sumanvedua4978

suman vedua

New Creator