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हर्फ़ दर हर्फ़ उतारती हूँ ज़हन के पन्नों पर सतरंगी एह

हर्फ़ दर हर्फ़ उतारती हूँ
ज़हन के पन्नों पर
सतरंगी एहसासों को
कुछ अपनी ,कुछ 
औरों के बातों को
इंद्रधनुषी जज्बातों को
कल्पना की उड़ानों को
कभी खुद की 
कभी औरों की मुस्कानों को
 अल्फ़ाज़ बनाते हैं घर
नहीं तो बस 
तलाशते हैं हम
हो मौन
खाली मकानों को...
                            Anupama Jha









     #अल्फ़ाज़ #सतरंगी #yqdidi
हर्फ़ दर हर्फ़ उतारती हूँ
ज़हन के पन्नों पर
सतरंगी एहसासों को
कुछ अपनी ,कुछ 
औरों के बातों को
इंद्रधनुषी जज्बातों को
कल्पना की उड़ानों को
कभी खुद की 
कभी औरों की मुस्कानों को
 अल्फ़ाज़ बनाते हैं घर
नहीं तो बस 
तलाशते हैं हम
हो मौन
खाली मकानों को...
                            Anupama Jha









     #अल्फ़ाज़ #सतरंगी #yqdidi