खुशियों की, पहली बरसात। झूम रहा मन, खोल के दोनों हाथ। ऐसे में बस हो जाएं, बस मेरी तुमसे मुलाकात। थम जाए सारा आलम, करीब आ जाएं चांदनी रात। चले चहुं ओर मस्त शरद हवाएं ना हो किसी की भी वो मोहताज। ऐसी घनघोर बरसना ऐ बरखा रानी आज की छूटे ना उम्र–ऐ–दराज मेरा उनका हाथों से हाथ। ©Manisha Maru #rain❤