मै कुर्सी बोल रहा हूं ! एक राज खोल रहा हूं समझ न पाए आम जन जो मै ओ खेल, खेल रहा हूं मै कुर्सी बोल रहा हूं! मेरी है कोई जात धर्म मत पालो ऐसी कोई भरम मै सता का पिठसान हूं हरिजनों का भी मै ही आसन हूं बचा न मुझसे देवगिरी ठनी है कई बार बड़ी बड़ी काल खंड से अब तक लेकर मै ही बना हूं सर्वोपरी जब तक है यूं नर में नारी मेरी खेल रहेगी यूं ही जारी मत करना सता से यारी सता की लालच सिर्फ मै हूं है मै हूं मै कुर्सी बोल रहाू हूं #chairspoltics