बंद दरवाजे कुछ इस तरह खड़के नींद उनको मेरी जगानी थी, नींद उठा कर मेरी उनको भी मंजिलें मेरी दिखानी थी, मंजिल का अंतिम रास्ता तो पता नहीं पर शुरुवाती सामने खड़ा था, खड़खड़ाहट से उसकी डर मुझको भी लगा था, कठिनाइयो से भरा रास्ता मैंने भी चुना था मेहनत देख कर उसके पीछे दिल मेरा भी सहमा था, फिर सुरुवात मैंने कर ली अब दशवी सीधी पर खड़ी हु और डर इस बात का है कही मै कच्ची सीधी पर तो नहीं चढ़ी हु ©Priya Godiyal pg #behindclosedoors