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फ़ितरतें देख रहा हूँ बदलते हुए मौसम के भी लोगों के

फ़ितरतें देख रहा हूँ बदलते हुए
मौसम के भी लोगों के भी।
स्वाद बहुत चख चुका हूँ 
भरोसे के भी और धोखे के भी।।
अभी हार स्वीकार नहीं
जब तक साँस है संग मेरी।
अभी थोड़ा व्यस्त हूँ दोस्तों
क्योंकि वक़्त से है जंग मेरी।।

©गुरु GS
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