चाँद मैं देखूँ या महबूब मैं देखूँ, अंतर कुछ समझ में आए ना। मन में सूरत बस गई है उसकी, अब और पिया मन कुछ भाए ना। ©rupesh sharma चाँद मैं देखूँ या महबूब मैं देखूँ, अंतर कुछ समझ में आए ना। मन में सूरत बस गई है उसकी, अब और पिया मन कुछ भाए ना। #RupeshSharma #Karwachauth