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तुम्हारा..... "सूर्य"🍁बनना है मुझे" (शेष अनुशीर्

तुम्हारा.....
 "सूर्य"🍁बनना है मुझे"
(शेष अनुशीर्षक में ...) तुम हमेशा पूछते हो ना
 कि 
मैं अपने अंदर इतनी ऊष्मा क्यूं पालती हूं ? 
जिसके ताप से ख़ुद ही 
तपती रहती हूं हमेशा ...क्यूं रखती हूं इतनी तपिश...!!
आखिर क्यूं नहीं तुम्हें शीतलता भाती है...??
 स्त्रियां तो शांत होती है ...फिर तुम ऐसी क्यूं नहीं?
जब भी रखता हूं
तुम्हारा.....
 "सूर्य"🍁बनना है मुझे"
(शेष अनुशीर्षक में ...) तुम हमेशा पूछते हो ना
 कि 
मैं अपने अंदर इतनी ऊष्मा क्यूं पालती हूं ? 
जिसके ताप से ख़ुद ही 
तपती रहती हूं हमेशा ...क्यूं रखती हूं इतनी तपिश...!!
आखिर क्यूं नहीं तुम्हें शीतलता भाती है...??
 स्त्रियां तो शांत होती है ...फिर तुम ऐसी क्यूं नहीं?
जब भी रखता हूं