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नाउम्मीदी में भी उम्मीद का दीप जलाये बैठें हैं, हा

नाउम्मीदी में भी उम्मीद का दीप जलाये बैठें हैं,
हाँ हम तेरे लिए आज फिर बाँह फैलाये बैठें हैं।

मोहब्बत की राहें आसान कहाँ होती हैं?
तेरे लिए अब भी चंद साँस बचाये रखें हैं।

तुमसे यूँ तो शिकवें कई हमें, कई मलाल भी हैं,
फिर भी तेरी ख़ातिर हम दिल मोम बनाये बैठें हैं।

हवाएं भी मुँह मोड़ खिलाफ़ बहती है अब तो,
तू आ और देख, तेरी कमी में अपना क्या हाल बनाएं बैठें हैं।

छोटी सी ये जिंदगी जाने कब थम जानी है,
इस नाउम्मीदी में भी किसी मोजिज़ा की उम्मीद जगाएं रहतें हैं।

साँसे ठंडी पड़ जाने से पहले क्या तुम आ पाओगे?
हम हर इक प्रहर तेरा नाम अलापे बैठें हैं। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 

♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
नाउम्मीदी में भी उम्मीद का दीप जलाये बैठें हैं,
हाँ हम तेरे लिए आज फिर बाँह फैलाये बैठें हैं।

मोहब्बत की राहें आसान कहाँ होती हैं?
तेरे लिए अब भी चंद साँस बचाये रखें हैं।

तुमसे यूँ तो शिकवें कई हमें, कई मलाल भी हैं,
फिर भी तेरी ख़ातिर हम दिल मोम बनाये बैठें हैं।

हवाएं भी मुँह मोड़ खिलाफ़ बहती है अब तो,
तू आ और देख, तेरी कमी में अपना क्या हाल बनाएं बैठें हैं।

छोटी सी ये जिंदगी जाने कब थम जानी है,
इस नाउम्मीदी में भी किसी मोजिज़ा की उम्मीद जगाएं रहतें हैं।

साँसे ठंडी पड़ जाने से पहले क्या तुम आ पाओगे?
हम हर इक प्रहर तेरा नाम अलापे बैठें हैं। ♥️ Challenge-684 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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nazarbiswas3269

Nazar Biswas

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