Nojoto: Largest Storytelling Platform

आँखो की इस झील में, सोचा था हर दर्द छूपाऊंगा, खुद

आँखो  की इस झील में,
सोचा था हर दर्द छूपाऊंगा,
खुद मुसकुरकार दुनियाँ को मैं,
खुशियों का पैगाम सुनाऊँगा ,
कम्बखत झील भी छोटा पर गया,
जब दर्द की गहराई को देखा,
निकल परा आँसू का मंजर,
जब झील की साहिल ने रोका,

               नीरज की कलम से........ आँखों का झील।
आँखो  की इस झील में,
सोचा था हर दर्द छूपाऊंगा,
खुद मुसकुरकार दुनियाँ को मैं,
खुशियों का पैगाम सुनाऊँगा ,
कम्बखत झील भी छोटा पर गया,
जब दर्द की गहराई को देखा,
निकल परा आँसू का मंजर,
जब झील की साहिल ने रोका,

               नीरज की कलम से........ आँखों का झील।

आँखों का झील।