फरमाइशों के भी दायरे होते हैं दायरे जो के अधीन हैं के फरमाइशें किस मन्ज़िल से रूबरू होंगी भई, उम्मीद भी बनी रहनी चाहिए के सब छन-सा न हो जाये कहीं हाय! ये उम्मीद बड़ी बंदिश है काश! उम्मीदों के दायरे होते और टूट जाती ये भी वो सीमाएँ देख के फिर न पनपती न दिखाई पड़ती कम से कम फरमाइशों को आज़ादी से उड़ा तो पाते हम-तुम...... नज़्म: फरमाइशें और उम्मीद #poetrylights #artlights #yqhindi #yourquote #yqdidi #yqbaba #nazm #zindagi