यूँ तो काफिलों की भीड़ है हर जगह पर, लेकिन
हुआ जो संक्रमण खुद को अकेला ही तू पायेगा
न देख सकेगा मात-पिता को, न भाई बहन को
घिर जायेगा चार दीवारी में फिर बाद में पछतायेगा ।
ये वक्त है साहब , इक दिन ये भी गुजर जायेगा
जब अच्छा गुजर गया, तो बुरा कहाँ रह जायेगा ?
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