बात कुछ ऐसी है,की मैं कह ना पाया, जो कह ना पाया तुम्हे, वो तेरी दोस्ती ही की खातिर।। बस कोरे सपने दिखाने की हिम्मत ना थी इस दोस्ती का फायदा उठाने की फिद्रत ना थी।। नहीं है राब्ता अब , ये भी सही है तेरी गलियों में आने का रास्ता भी वही है, तू कर ना सकी मेरी दोस्ती की कदर शायद वजह यही है कि हम अब अजनबी है।।। वफा ए दोस्ती