जमाने का क्या, उसे तो बस कयास लगाना था, मुझे कौन सा तुमसे कभी, कोई आस लगाना था, मेरे जाल मे तुम उलझी, ये तुम्हारी नासमझी थी, मेरा मकसद महज, जिस्मानी प्यास बुझाना था। #pod #jism