अकेले थे कुछ दिन और अकेले रह जाते कुछ तो बचा होता गर उम्मीद ही न लगाते ना कह पाए ना सह पाए,अब क्या करे कहीं के ना रहे, बताओ जिये या मरे रोहित तिवारी