वादें_मचल_रहे_है ©My Word My Quotes तमाम झूठे वादें आज फिर से मचल रहे है सुना है उसका होने को ये वादें तरस रहे है उलझें हुए शब्दों में ये वादें ऐसे फंस रहे है इश्क़ के तमाम झूठे ख्वाबों में सिमट रहे है ये सच्चे वादें भी आज कल ऐसे रंग बदल रहे है ज़माने के बदलते मिज़ाजो में ये वादें ढ़ल रहे है