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कभी इस घर तो कभी उस घर बसी में, तुम्हारे सामने कित

कभी इस घर तो कभी उस घर बसी में,
तुम्हारे सामने कितनी बार झुकी हु में ,
मुझे करते रहे हर बार बदनाम तुम ,
फिर भी तुम्हारे साथ रही हु में ,
जीवन भर का साथ देने की ठानी थी ,
क्यो अधूरी जिंदगी बनी हु में ,
तुम्हे सम्भालने मेने लिए अवतार कितने,
क्यो राक्षसों से लड़ी हु में,
कही खबर नही तुझे में अपमान हुई हु में,
तेरे ही सामने जात जात हुई में,
कोई ना करता हिफाजत हमारी ,
क्यो नारी बनी हु में,

सुनिल मीणा
खोहरां खुर्द happy woman day
कभी इस घर तो कभी उस घर बसी में,
तुम्हारे सामने कितनी बार झुकी हु में ,
मुझे करते रहे हर बार बदनाम तुम ,
फिर भी तुम्हारे साथ रही हु में ,
जीवन भर का साथ देने की ठानी थी ,
क्यो अधूरी जिंदगी बनी हु में ,
तुम्हे सम्भालने मेने लिए अवतार कितने,
क्यो राक्षसों से लड़ी हु में,
कही खबर नही तुझे में अपमान हुई हु में,
तेरे ही सामने जात जात हुई में,
कोई ना करता हिफाजत हमारी ,
क्यो नारी बनी हु में,

सुनिल मीणा
खोहरां खुर्द happy woman day
sunilmeena1831

Sunil Meena

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