वक्त होता है बदलने के लिए ठहरते तो बस लम्हे ही हैं। मजदूर था वो मजबूर हो गया रोजगार उससे ही दूर हो गया सरहदें तो लांघी थी अमीरों ने इसमें गरीब का क्या कसूर हो गया ज़िन्दगी गुज़र जाती है ये ढूँढने में कि ढूंढना क्या है अंत में तलाश सिमट जाती है इस सुकून में कि जो मिला वो भी कहाँ साथ लेकर जाना है।। #Corona_Lockdown_india #Hamari_duniya