कितने अश्क़ गिरे, क्या बयां करें, वक्ति फैसले गुजर गए, गुज़रे वक़्त को विदा करें, अभी कितने फ़र्ज़, मुनासिब हुए बैठे हैं, फिर होगा खोने का हिसाब, चलो कुछ नया करें.. -शहनाज़ ख़ान #weather#SKTalk#Inspiration