खून देकर सिचा हमने जिस वतन को, जाने क्यों आज हम उसके गुनेहगार हो गए जो मिट्टी थी हमारी मा सामान, आज ना जाने क्यू हम उससे जार जार हो रहे। गर्व करते थे हम Hindu-muslim भाई भाई के सिद्धांत पर, ना जाने क्यूं वहीं आज छुरा भोंख़ रहे अपने भाईजान पर, ना जाने क्यूं वहीं आज छुरा भोंख रहे अपने भाई जान पर। "गुमनाम"