अपनी ज़रूरतों की चादर छोटी कर ली बच्चों की ख़ुशी ज़िंदगी की कसौटी कर ली। देने को सिर पर छत और सुकून के निवाले, भूल जाते हैं, वो चैन की नींद और हाथ के छाले। वो शख़्स जो परिवार की नींव होता है, अपनी शख़्सियत बच्चों में जीता होता है। उनका हर ग़म और ख़ुशी बच्चों से बावस्ता, भूल जाते हैं,अक़सर ख़ुद का ख़ुद ही वास्ता। 🎀 Challenge-241 #collabwithकोराकाग़ज़ 💖 Happy Fathers Day 💖 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।